English Qalam Times

बिहार से स्कॉटलैंड तक:...

                  --- इन्तेजारूल हक की...

बिहार में 1990 से...

आंकड़ों के जरिए जानिएं पूरी कहानी                ...

‘यह बेहद घिनौना, मैं...

वाशिंगटन। अरबपति एलन मस्क ने संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के...

जस्टिस यशवंत वर्मा के...

नई दिल्ली। मोदी सरकार जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए संसद के आगामी...
Homeअंतरराष्ट्रीयराजस्थान में स्कूलों को विलय करने के फैसले का क्यों हो रहा...

राजस्थान में स्कूलों को विलय करने के फैसले का क्यों हो रहा है विरोध

राजस्थान जोधपुर/अजमेर/जयपुर: सानिया, मानसी, मोनिका और बुशरा, जो सभी पहली पीढ़ी की छात्राएं हैं, उनके लिए यह स्कूल उनके उज्जवल भविष्य की वह चाबी है, जो अब कही खो गई है.

जनवरी में तीन आदेशों के साथ, राजस्थान में भजन लाल शर्मा के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने 449 स्कूलों को उनके आस-पास के बड़े, बेहतर प्रदर्शन करने वाले स्कूलों के साथ विलय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. सरकार ने इस कदम के पीछे कम दाखिले (राजस्थान सरकार की नीति के तहत 15 से कम छात्र), एक ही परिसर में अलग-अलग स्कूल और एक-दूसरे के करीब स्थित स्कूलों को कारण बताया.

इस कदम ने पूरे राज्य में विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा दिया है, जिसमें पैरेंट्स भी इसके खिलाफ हैं क्योंकि इससे बच्चों, खासकर लड़कियों और वंचित पृष्ठभूमि से आने वाले बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.

जोधपुर और बीकानेर में पिछले हफ्ते हुए बड़े विरोध प्रदर्शनों में सबसे बड़ा मुद्दा लड़कियों के स्कूलों को को-एड इंस्टीट्यूट्स में विलय करना है. कई पैरेंट्स को डर है कि इस बदलाव से उनकी बेटियों की सुरक्षा और शैक्षिक माहौल को नुकसान पहुंच सकता है.

अन्य चिंताओं में कई छात्राओं के लिए घर से स्कूल की दूरी बढ़ना और स्कूल के मीडियम और सांस्कृतिक वातावरण में बदलाव शामिल हैं.

माता-पिता ही नहीं, पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने भी इसकी आलोचना की है. बीकानेर पश्चिम से भाजपा विधायक जेठानंद व्यास ने शिक्षा मंत्री मदन दिलावर को पत्र लिखकर अपने निर्वाचन क्षेत्र में लड़कियों के स्कूल के लिए छूट देने का अनुरोध किया है.

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments