The Voice of Hind Rajab ने दर्शकों को रुला दिया, 6 साल की हिंद रजब की आख़िरी पुकार बनी इंसानियत की आवाज़
वेनिस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में ‘द वॉयस ऑफ़ हिंद रजब’ का प्रीमियर हुआ जिसने दर्शकों को 23 मिनट तक खड़े होकर तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। फ़्रेंको-ट्यूनिशियन डायरेक्टर काउथर बेन हानिया की यह डॉक्यू-ड्रामा सिर्फ एक छह साल की बच्ची हिंद रजब की आख़िरी घंटों की दास्तान नहीं बल्कि पूरी फ़िलिस्तीनी त्रासदी की आवाज़ है। इस फ़िल्म ने दर्शकों को इतना झकझोर दिया कि हॉल “फ़्री फ़िलिस्तीन” के नारों से गूंज उठा।
हिंद रजब की आख़िरी पुकार
फ़िल्म में उन असली ऑडियो क्लिप्स को शामिल किया गया है जो फ़लस्तीनी रेड क्रिसेंट सोसायटी ने दर्ज किए थे। 29 जनवरी 2024 को इसरायली हमले के दौरान कार में फंसी हिंद रजब की दर्दनाक आवाज़ रिकॉर्ड हुई थी। वह कांपते हुए कह रही थी –
“Please come to me, please come. I’m scared.”
(“कृपया मेरे पास आओ, कृपया आओ, मैं डर रही हूं।”)
कई घंटों तक हिंद कार में अकेली रही, उसके चारों तरफ़ उसके मरे हुए परिवारजन पड़े थे। लेकिन एम्बुलेंस को इसरायली सेना ने तीन घंटे तक प्रवेश की अनुमति नहीं दी। जब बचाव दल पहुंचा, तो हिंद के शव के साथ दो एम्बुलेंस कर्मियों के शव भी मिले, जो उसे बचाने की कोशिश में मारे गए।
सिनेमा की ताक़त: काउथर बेन हानिया का बयान
फ़िल्म की स्क्रीनिंग से पहले डायरेक्टर काउथर बेन हानिया ने कहा:
“मीडिया इन घटनाओं को ‘collateral damage’ कहकर ख़त्म कर देता है। मुझे लगता है यह बेहद अमानवीय है। इसी वजह से सिनेमा, कला और हर तरह का अभिव्यक्ति का माध्यम ज़रूरी है ताकि इन लोगों को आवाज़ और चेहरा मिल सके।”
जांच में चौंकाने वाले खुलासे
अल-जज़ीरा, फ़ॉरेंसिक आर्किटेक्चर और ईरशॉट की संयुक्त जांच में पाया गया कि हमला जिस वक्त हुआ, उस समय इसरायली टैंक हिंद की कार से महज़ 13 से 23 मीटर की दूरी पर था।जुलाई 2024 में संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में भी यह पुष्ट किया गया कि गोलियां बहुत नज़दीक से दागी गईं। हालांकि इसरायली सेना ने दावा किया कि उनके सैनिक उस समय हमले की रेंज में मौजूद नहीं थे। हाल ही में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मामला अब भी “समीक्षा” में है और वे कोई और टिप्पणी
हिंद रजब की मां, विस्साम हमादा ने एएफ़पी से कहा:
“पूरी दुनिया ने हमें मरने के लिए छोड़ दिया, भूखा मरने के लिए, डर में जीने और बेघर होने के लिए। किसी ने कुछ नहीं किया।”
वेनिस में गूंजा ‘फ़्री फ़िलिस्तीन’
फ़िल्म की स्क्रीनिंग के दौरान दर्शकों की आंखें नम हो गईं। 23 मिनट तक तालियां गूंजती रहीं। हॉल में लोगों ने “Free, Free Palestine” के नारे लगाए और झंडे लहराए।
यह फ़िल्म गोल्डन लॉयन पुरस्कार की दौड़ में सबसे आगे बताई जा रही है। प्रीमियर से पहले ही कई लोगों ने इसका अनुमान लगाया था और बुधवार की ज़बरदस्त प्रतिक्रिया ने इसे लगभग पक्की दावेदार बना दिया।
कलाकारों की अपील: ‘कब तक?’
फ़िल्म की स्टार सजा किलानी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में पूरी टीम की ओर से भावुक बयान पढ़ा। उन्होंने कहा:
“हम पूछते हैं: क्या यह काफ़ी नहीं है? और कितनी हत्या, कितनी भूख, कितनी तबाही, कितनी अमानवीयता और कितनी लंबी क़ब्ज़ेदारी चाहिए?”
उन्होंने आगे कहा:
“हिंद की कहानी पूरे लोगों का बोझ उठाती है, यह सिर्फ़ उसकी नहीं है। उसकी आवाज़ 19,000 बच्चों की आवाज़ है जो पिछले दो साल में ग़ज़ा में मारे गए। यह हर मां, पिता, डॉक्टर, शिक्षक, कलाकार, पत्रकार, वालंटियर, पैरामेडिक की आवाज़ है, जिनका जीने और सपने देखने का अधिकार छीन लिया गया।”
सजा किलानी ने बेहद मार्मिक शब्दों में जोड़ा:
“हिंद की कहानी एक बच्चे की कहानी है जो पुकार रही है: ‘मुझे बचाओ।’ सवाल यह है कि हमने कैसे एक बच्चे को ज़िंदगी की भीख मांगने पर मजबूर कर दिया और फिर भी उसे नहीं सुना? कोई भी तब तक चैन से नहीं जी सकता जब तक एक बच्चा भी मौत से लड़ रहा हो। हिंद रजब की आवाज़ हर थिएटर में गूंजनी चाहिए, ताकि दुनिया को ग़ज़ा पर बनी चुप्पी याद दिलाई जा सके।”
दुनिया की बड़ी हस्तियां भी साथ
‘द वॉयस ऑफ़ हिंद रजब’ को दुनिया की मशहूर हस्तियों का समर्थन भी मिल रहा है। फ़िल्म को जोआक्विन फ़ीनिक्स, रूनी मारा और ब्रैड पिट जैसे कलाकारों का साथ मिला है।
वेनिस फ़िल्म फ़ेस्टिवल में यह फ़िल्म न सिर्फ़ एक छह साल की बच्ची की त्रासदी को सामने लाती है बल्कि पूरी दुनिया को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अब भी चुप रह सकते हैं। यह फ़िल्म कला और एक्टिविज़्म का संगम है, जो दर्शकों के दिलों को झकझोर रहा है।