नई दिल्ली: इंदौर के NEET-UG 2025 आवेदकों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए जिन्होंने दावा किया था कि उन्हें अपने सेंटर पर बिजली कटौती के कारण मोमबत्ती की रोशनी में एग्जाम देनी पड़ी, मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने पिछले महीने एस्पिरेंट्स के लिए “उचित परिस्थितियां प्रदान करने में विफल” होने के लिए राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) को फटकार लगाई थी.
पिछले साल कथित पेपर लीक और गड़बड़ियों से जुड़े बड़े विवाद के बाद यह लगातार दूसरा साल है जब एजेंसी को देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा के संचालन को लेकर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है.
16 मई की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा के परिणामों पर रोक लगा दी थी. उसी दिन, मद्रास हाई कोर्ट ने भी कुछ स्टूडेंट्स की याचिका के बाद NTA को परिणाम जारी करने से रोक दिया, जिन्होंने दावा किया था कि वह बारिश के बीच अपने केंद्रों पर बिजली कटौती के कारण परीक्षा पूरी नहीं कर पाए थे.
NTA की परीक्षाओं को सुचारू रूप से आयोजित करने में कथित विफलता केवल NEET-UG तक ही सीमित नहीं है. भारत में 280 से ज़्यादा यूनिवर्सिटी में दाखिले के लिए चल रहे कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET-UG) के आयोजन में कई तरह की दिक्कतें आ रही हैं. इसमें सर्वर और इंटरनेट की समस्या के कारण देशभर के कई केंद्रों पर देरी भी शामिल है.
तकनीकी गड़बड़ियों के कारण NTA को कई केंद्रों पर परीक्षा रद्द भी करनी पड़ी. उदाहरण के लिए कश्मीर के एक केंद्र पर 14 मई को होने वाली परीक्षा रद्द की गई थी.
ये हाल ही की कुछ ऐसी समस्याएं हैं, जिनकी वजह से एजेंसी फिर से जांच के दायरे में आ गई है.
पिछले साल सरकार द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति, जिसकी अध्यक्षता इसरो के पूर्व प्रमुख के. राधाकृष्णन ने की थी, ने राष्ट्रीय स्तर की परीक्षाओं के सुचारू और सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करने के लिए कई सिफारिशें की थीं. हालांकि, इस साल फिर से समस्याओं की खबरें आने के साथ, हितधारकों का कहना है कि मूल मुद्दे अनसुलझे हैं.
प्रमुख कोचिंग संस्थानों के राष्ट्रीय स्तर के संघ, कोचिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष केशव अग्रवाल ने दिप्रिंट को बताया, “कुछ सुधारों के बावजूद जैसे कि NEET के लिए सरकारी केंद्रों का उपयोग करना — त्रुटिपूर्ण प्रश्नपत्र, तकनीकी गड़बड़ियां और खराब बुनियादी ढांचे जैसी समस्याएं छात्रों को प्रभावित कर रही हैं. प्रमुख सिफारिशें — जैसे कि पेपर-सेटिंग, डिजिटल ट्रायल रन और जवाबदेही तंत्र — अभी भी पूरी तरह से लागू नहीं हुई हैं. तत्काल और ईमानदार सुधारों के बिना, प्रणाली छात्रों को विफल करती रहेगी और विश्वास को कम करती रहेगी.”