बिहार के पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में एनडीए सीट बंटवारे को लेकर भाजपा, जेडीयू और लोजपा में सियासी खींचतान तेज, कई सीटों पर विवाद जारी।
पटना, 14 अक्टूबर 2025
बिहार के पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में एनडीए के सीट बंटवारे ने सियासत को गरमा दिया है। भाजपा, जेडीयू और लोजपा के बीच समझौते की रस्साकशी अब भी जारी है। कुछ सीटों पर उम्मीदवार तय हो चुके हैं, जबकि कई पर अंदरूनी नाराजगी और खींचतान खुलकर सामने आ रही है। पूर्वी चंपारण में भाजपा का दबदबा दिख रहा है, लेकिन जेडीयू के कार्यकर्ताओं की नाराजगी भी खुलकर झलक रही है। वहीं पश्चिमी चंपारण में लोजपा-जेडीयू के बीच हिस्सेदारी को लेकर तकरार ने एनडीए के भीतर तनाव बढ़ा दिया है।

पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण की प्रत्येक सीट का एनडीए के चुनावी बंटवारे में जो ड्रामा और राजनीति हुई, उसका विस्तार इस प्रकार है:
पूर्वी चंपारण की सीटें और ड्रामा
- रक्सौल: यह भाजपा की सीट है, जिसमें प्रमोद कुमार सिन्हा को प्रत्याशी बनाया गया है। यह सीट भाजपा के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है, जहां से उन्होंने पिछले चुनावों में मजबूत पकड़ बनाई थी। जेडीयू कार्यकर्ताओं में इसके भाजपा को जाने पर हल्की नाराजगी बनी रही।
- सुगौली: यह सीट राजद-घरेलू सहयोगियों के पास है लेकिन एनडीए गठबंधन के मुकाबले यहां के समीकरण जटिल हैं। एनडीए के भीतर यहां कोई प्रत्याशी घोषित नहीं हुआ है, जिससे राजनीति अभी भी चल रही है।
- नरकटिया: इस सीट पर भी राजद के प्रत्याशी हैं, पर एनडीए के नेताओं के बीच रणनीति बन रही है कि किस प्रकार प्रभावी मुकाबला किया जाए। यह क्षेत्र जातीय समीकरण के कारण संवेदनशील है।
- हरसिद्धि: भाजपा के कृष्णनंदन पासवान को यह सीट मिली। यह सीट भाजपा की पकड़ मजबूत करने के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण मानी गई है।
- गोबिन्दगंज: भाजपा ने यहाँ सुनील मणि तिवारी को प्रत्याशी बनाया है। पहले इसे जेडीयू की हिसाब से देखा जाता था पर इस बार भाजपा ने दावेदारी पेश की, जिससे गठबंधन में हल्की भनभनाहट रही।
- केसरिया: जनता दल यूनायटेड की सीट, जहां शालिनी मिश्रा को मौका दिया गया। यह सीट जेडीयू का मजबूत गढ़ रहने के कारण इसलिए खास है कि यहां से वफादारी की लड़ाई हुई।
- कल्याणपुर: राजद का गढ़ माना जाने वाला क्षेत्र, लेकिन मिश्रित समीकरणों के कारण एनडीए गठबंधन में इसकी स्थिति अभी भी विवादित है।
- पीपरा, मधुबन, मोतिहारी, चिरैया, ढाका: इन सीटों पर भाजपा ने प्रत्याशी घोषित किए हैं। कई सीटें पारंपरिक तौर पर भाजपा के लिए जीत दिलाने वाली मानी जाती हैं, पर स्थानीय नेताओं की आपस में खींचतान भी देखने को मिली।
पश्चिमी चंपारण की सीटें और ड्रामा
- भभुआ: यह सीट भाजपा के लिए सुरक्षित मानी जाती है। यहां भाजपा ने अपने मजबूत उम्मीदवारों का नामांकन किया, जिससे थोड़ा सुकून का माहौल है पर गठबंधन के अंदर जेडीयू के कुछ नेता नाराज हैं।
- नड़िया: भाजपा का प्रभुत्व बरकरार रखने के प्रयास के बावजूद जेडीयू के कुछ गुटों ने इस पर असंतोष जताया। स्थानीय स्तर पर नेता आपस में प्रतिस्पर्धा में लगे हैं।
- गिरिडीह, विसुअर, रामनगर, जोहिया: ये सीटें ज्यादातर जेडीयू और कम हिस्सेदारी वाली लोजपा के बीच बंटी हैं। बंटवारे पर सहमति के बाद भी उम्मीदवारों को लेकर नाखुशी और मनमुटाव जारी रहे हैं। खासकर रामनगर और गिरिडीह में जेडीयू नेताओं ने अपनी नाराजगी छुपाई नहीं।
- गुढ़हवा: जेडीयू और लोजपा के बीच साझेदारी वाली सीट, लेकिन उम्मीदवारों के चयन को लेकर कई बार बैठकें करनी पड़ीं, जबकि लोजपा को अधिक सीटें मिलने से जेडीयू के भीतर विवाद हुआ।

पूर्वी चंपारण में भाजपा के दबदबे के बावजूद कई सीटों पर जेडीयू और सहयोगी दलों के बीच प्रतिस्पर्धा देखी गई। पश्चिमी चंपारण में बैठकों, मनमुटावों और उम्मीदवार तय करने के दौर में गठबंधन के दलों के बीच असंतोष के संकेत मिले। खासकर लोजपा और जेडीयू के बीच सीटों पर अधिकार को लेकर विवाद हुआ। इन क्षेत्रों में जहाँ सीटों का बंटवारा पूरी तरह फाइनल हुआ है, राजनीति का DRAMA अभी भी जीवित है और अंतिम उम्मीदवारों की घोषणा आते ही संग्राम ज्यादा तगड़ा होने वाला है।






