महिलाओं और GenZ वोटरों ने बिहार चुनाव 2025 में नया इतिहास रचा। पहले चरण में महिलाओं की भागीदारी 69.04% रही, जो पुरुषों से आठ प्रतिशत अधिक है। युवा वोटरों ने भी राजनीति में नई ऊर्जा भरी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट Qalam Times News Network पर।
Qalam Times News Network
पटना | 9 नवम्बर 2025
महिलाओं की बढ़ती भागीदारी ने लिखा नया अध्याय

महिलाओं ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में इतिहास रच दिया है। कुल 65.08% मतदान के साथ यह चरण कई मायनों में खास रहा। लेकिन असली बात यह रही कि महिलाओं की भागीदारी पुरुषों से लगभग आठ प्रतिशत अधिक रही।
पहले चरण में महिलाओं ने 69.04% वोटिंग कर लोकतंत्र की नब्ज अपने हाथों में ले ली, जबकि पुरुषों का मतदान प्रतिशत 61.56% रहा। यह केवल आंकड़ा नहीं बल्कि संकेत है कि बिहार की महिलाएं अब घर तक सीमित नहीं रहीं—वे लोकतंत्र की दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभा रही हैं।
ग्रामीण महिलाओं ने दिखाया जागरूकता का नया चेहरा
2020 की तुलना में महिलाओं की वोटिंग में लगभग 10% की वृद्धि हुई है।
2010 में महिलाओं का वोट प्रतिशत 54.85% था, जो 2015 में 59.69% और अब 2025 में 69.04% पर पहुंच गया है।
मुजफ्फरपुर के मीनापुर विधानसभा क्षेत्र ने इस बार रिकॉर्ड बनाया—यहां 82.49% महिलाओं ने मतदान किया, जो राज्य में सबसे अधिक है।
इसके उलट, पटना के कुम्हरार क्षेत्र में सिर्फ 39.13% महिलाओं ने वोट किया। दिलचस्प यह है कि यहां पुरुषों का मतदान भी सबसे कम (41.10%) रहा।
स्पष्ट है कि ग्रामीण इलाकों की महिलाएं अब अधिक राजनीतिक रूप से जागरूक और संगठित हो रही हैं। पंचायत स्तर पर सशक्तिकरण और महिला समूहों की सक्रिय भूमिका ने इसमें अहम योगदान दिया है।
GenZ वोटरों का जोश: राजनीति में नई ऊर्जा
इस बार बिहार में करीब 1.77 करोड़ GenZ वोटर हैं—जो कुल मतदाताओं का लगभग 24% हिस्सा हैं।
18 से 29 वर्ष के ये युवा न केवल पहली बार वोट डाल रहे हैं बल्कि अपनी राजनीतिक सोच से पूरे माहौल को प्रभावित कर रहे हैं।
यह पीढ़ी जातीय समीकरणों से आगे निकल चुकी है—यह सोशल मीडिया पर नेताओं को सुनती है, बहस करती है और फिर ईवीएम पर अपनी राय दर्ज करती है।
बेगूसराय, खगड़िया और मधेपुरा में GenZ वोटरों की हिस्सेदारी 25% से अधिक है, जबकि पटना में 18.45%।दरभंगा जिले में 18-19 वर्ष के 62,127 नए मतदाता हैं—जो पूरे राज्य में सबसे अधिक हैं।
कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों के कारण इन जिलों में युवाओं की राजनीतिक जागरूकता लगातार बढ़ रही है।
महिलाओं और युवाओं की “दोहरी क्रांति”
पहले चरण के मतदान के बाद साफ है—यह चुनाव अब सिर्फ राजनीतिक दलों या जातीय समीकरणों का नहीं, बल्कि महिलाओं और युवाओं के संयुक्त जनादेश का बन गया है। महिलाएं बदलाव की वाहक हैं, जिन्होंने अपने अधिकार को जिम्मेदारी में बदला है। वहीं GenZ युवा ऊर्जा के प्रतीक हैं, जिन्होंने पुरानी सोच को चुनौती दी है। बिहार के बूथों पर इस बार यह “दोहरी क्रांति” दिखाई दी—एक ओर साड़ी में सशक्त स्त्रियां, तो दूसरी ओर जींस-टीशर्ट में वोटिंग के बाद सेल्फी लेते युवा। यही दृश्य इस चुनाव को “नई दिशा का चुनाव” बना देता है।






