भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बुधवार को 2018 में दर्ज कराया गया अपना केस वापस ले लिया। दुबे ने बताया कि जांच में यह स्पष्ट हो गया है कि धमकी देने वाला कोई मुस्लिम नहीं बल्कि एक हिंदू युवक था, जिसने अल्पसंख्यक समुदाय के कुछ युवकों को फँसाने की साज़िश रची थी।
क्या था मामला?
जुलाई 2018 में दिल्ली पुलिस ने दुबे की शिकायत पर केस दर्ज किया था। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि झारखंड के साहिबगंज जेल में बंद एक कैदी ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी।
जांच में सामने आया कि गोड्डा ज़िले के कुमारडीह गांव निवासी कुंदन कुमार दास ने दुबे को धमकी दी थी। इसके लिए उसने मोबाइल फोन मोहम्मद गुलफाम के नाम से खरीदा था, ताकि आरोप मुस्लिम युवकों पर डाला जा सके।
भाजपा सांसद ने अदालत में की अपील
दुबे ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में व्यक्तिगत तौर पर पेश होकर अदालत से केस वापस लेने की गुज़ारिश की। अदालत ने केस रद्द करते हुए 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया और निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी घटना दोबारा न हो।
लिंचिंग केस से जुड़ा विवाद
यह मामला उस वक्त सामने आया था जब गोड्डा में दो लोगों की कथित तौर पर भैंस चोरी के शक में भीड़ ने पिटाई कर दी थी। जून 2018 की इस घटना में मुर्तज़ा अंसारी और चारकु अंसारी की मौत हो गई थी।
घटना के बाद चार लोगों को गिरफ़्तार किया गया था, लेकिन दुबे ने कहा था कि उन्हें गलत तरीके से फँसाया जा रहा है क्योंकि “पूरे गांव ने पिटाई में हिस्सा लिया था, सिर्फ चार लोगों को क्यों निशाना बनाया गया?”