NDA का चक्रव्यूह तेजस्वी यादव के लिए 2025 के चुनाव में सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। 36 वर्षीय तेजस्वी 172 रैलियों और युवाओं के रोजगार वादे के साथ मैदान में हैं, जबकि मोदी-शाह समेत एनडीए की पूरी फौज बिहार में कैंप कर रही है।
क़लम टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क
पटना | 10 नवम्बर 2025
चक्रव्यूह — यही वह शब्द है जो इस समय बिहार की सियासत में सबसे ज्यादा गूंज रहा है।
2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के लिए एनडीए ने ऐसा चक्रव्यूह रचा है, जिसे तोड़ना किसी अभिमन्यु की तरह चुनौतीपूर्ण बन गया है। 36 साल के तेजस्वी ने अपनी राजनीतिक परिपक्वता और जोश के साथ विपक्षी गठबंधन का मोर्चा लगभग अकेले संभाला है। उन्होंने चुनावी व्यस्तता के बीच 37वां जन्मदिन बेहद सादगी से मनाया, जबकि उनके कार्यकर्ताओं ने इसे उत्सव का रूप दे दिया।
तेजस्वी का चुनावी अभियान — 172 से अधिक रैलियों में जनता से सीधा संवाद

तेजस्वी यादव के लिए 2025 का चुनाव करो या मरो की स्थिति में है। चुनावी समय सीमित होने के बावजूद वे औसतन 15 रैलियां प्रतिदिन कर रहे हैं, और अंतिम चरण में यह संख्या 18 तक पहुंच चुकी है। अब तक वे करीब 172 जनसभाएं कर चुके हैं।
उनका फोकस युवाओं पर है — क्योंकि बिहार की आबादी का 58% हिस्सा युवा है।
उन्होंने हर परिवार से एक व्यक्ति को सरकारी नौकरी देने का वादा कर रोजगार का कार्ड खेला है।
यह रणनीति 2020 में भी असरदार साबित हुई थी, और इस बार वे उसी वादे को और बड़े स्तर पर दोहरा रहे हैं।उनके अभियान का केंद्र बिंदु भी यही चक्रव्यूह है — युवाओं की उम्मीदों और एनडीए के हमलों के बीच संतुलन बनाना।
राहुल और प्रियंका का साथ — महागठबंधन को मजबूती, महिलाओं पर फोकस

इस बार राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी तेजस्वी के साथ चुनावी मैदान में सक्रिय हैं।
राहुल जहां विकास और रोजगार की बात कर रहे हैं, वहीं प्रियंका महिला मतदाताओं को साधने की कोशिश में जुटी हैं।तेजस्वी यादव ने लगभग हर प्रत्याशी के लिए प्रचार किया है और यह साबित किया है कि महागठबंधन के असली ‘फेस’ वही हैं। हालांकि, उनके सामने एनडीए का चक्रव्यूह लगातार मजबूत हो रहा है।
पटना में अमित शाह का कैंप, मोदी की रैलियां और एनडीए का आक्रामक अभियान
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने तेजस्वी यादव को घेरने के लिए अपने तमाम महारथियों को मैदान में उतार दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब तक 50 से अधिक रैलियां कर चुके हैं, वहीं गृहमंत्री अमित शाह पटना में कैंप कर रहे हैं। इसके साथ ही जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री भी लगातार बिहार में चुनावी सभा कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री और चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान पूरे चुनाव के दौरान पटना में डेरा जमाए हुए हैं। एनडीए के इस संगठित अभियान को राजनीतिक पर्यवेक्षक “तेजस्वी के खिलाफ रचा गया चक्रव्यूह” कह रहे हैं।
बीजेपी सहयोगियों की सक्रियता — बिहार का ‘एयर बैटलफील्ड’
एनडीए के सहयोगी दलों ने भी कमान संभाल ली है।
जेडीयू, चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, और जीतन राम मांझी जैसे नेता हेलीकॉप्टर के जरिये प्रतिदिन कई सभाएं कर रहे हैं।
अनुमान है कि बिहार के आसमान पर एनडीए के 26 हेलीकॉप्टर हर दिन उड़ान भर रहे हैं।
जातीय समीकरणों के आधार पर नेताओं को रणनीतिक तरीके से विधानसभा क्षेत्रों में भेजा जा रहा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब तक 70 से अधिक चुनावी सभा और कई रोड शो कर चुके हैं।
एनडीए इस चक्रव्यूह के जरिए जनता तक हर स्तर पर पहुंचने की कोशिश में है।
तेजस्वी बनाम एनडीए — बिहार की सबसे बड़ी राजनीतिक टक्कर
भले ही राहुल और प्रियंका साथ हों, लेकिन मैदान में अकेले सबसे ज्यादा सक्रिय चेहरा तेजस्वी यादव का है।वहीं दूसरी ओर, एनडीए के पास डेढ़ दर्जन से ज्यादा हेलीकॉप्टर और एक मजबूत केंद्रीय नेतृत्व है।
प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह और बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों का संयुक्त प्रचार अभियान इस चुनाव को चक्रव्यूह का रूप दे चुका है।
बिहार की जनता अब इस चुनावी संघर्ष को उत्सुकता से देख रही है — कि क्या तेजस्वी इस सियासी चक्रव्यूह को भेद पाएंगे या एनडीए फिर से किला मजबूत करेगा।






