महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में पटना, शाहाबाद और तिरहुत की 121 सीटों पर रणनीति तैयार की है। तिरहुत में भाजपा का दबदबा, जबकि शाहाबाद में महागठबंधन का किला कायम। तेजस्वी और तेज प्रताप दोनों अपनी-अपनी राह पर।
क़लम टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क
4 नवंबर | पटना | रिपोर्ट: खुर्शीद आलम, क़लम टाइम्स न्यूज़ नेटवर्क
महागठबंधन की रणनीति से गर्म हुआ चुनावी मैदान
महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 121 सीटों पर अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। 6 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए पटना, शाहाबाद और तिरहुत क्षेत्र में प्रचार अभियान चरम पर है। इन इलाकों में कई दिग्गज उम्मीदवार मैदान में हैं, जिससे मुकाबला बेहद दिलचस्प बन गया है।
खराब मौसम के बावजूद सभी राजनीतिक दल पूरी ताकत से जनता के बीच पहुंचे हैं। महागठबंधन को 2020 के मुकाबले इस बार बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है, वहीं एनडीए भी पिछली कमियों को दूर कर मैदान में उतर चुकी है।
पटना में 14 सीटों पर जोरदार मुकाबला

पटना जिले की 14 विधानसभा सीटों में मोकामा, बाढ़, बख्तियारपुर, दीघा, बांकीपुर, कुम्हरार, पटना साहिब, फतुहा, दानापुर, मनेर, फुलवारी (SC), मसौढ़ी (SC), पालीगंज और बिक्रम शामिल हैं।
2020 में इनमें से 9 सीटें महागठबंधन के पास गई थीं, जबकि एनडीए ने 5 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
इस बार फिर बांकीपुर और दानापुर सीटें सबसे चर्चित हैं। बांकीपुर में भाजपा के नितिन नवीन अपनी चौथी जीत की कोशिश में हैं, जबकि महागठबंधन ने रेखा कुमारी को मैदान में उतारा है।
दानापुर में रामकृपाल बनाम रितलाल की जंग
दानापुर में मुकाबला भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव और राजद के बाहुबली विधायक रितलाल यादव के बीच है। रितलाल यादव फिलहाल जेल में हैं, लेकिन जनाधार बनाए हुए हैं।
2020 में रितलाल यादव ने भाजपा की आशा सिन्हा को 15,924 वोटों से हराया था। इस बार रामकृपाल यादव मैदान में उतरकर महागठबंधन को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।
शाहाबाद: महागठबंधन का किला, एनडीए की नई चालें

शाहाबाद क्षेत्र की 22 सीटों में 2020 में एनडीए सिर्फ 2 सीटें जीत पाई थी, जबकि महागठबंधन ने 20 सीटों पर कब्जा जमाया था।
इस बार एनडीए ने पवन सिंह, आरके सिंह और अश्विनी चौबे जैसे नेताओं को सक्रिय कर मैदान संभाला है।
बक्सर सीट पर कांग्रेस के मुन्ना तिवारी का मुकाबला पूर्व आईपीएस आनंद मिश्रा से है, जिन्हें योगी आदित्यनाथ भी समर्थन दे चुके हैं।
सासाराम में स्नेह लता कुशवाहा की एंट्री
रोहतास जिले की सासाराम सीट पर इस बार मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेह लता राष्ट्रीय लोक मोर्चा के टिकट पर मैदान में हैं।
यहां कुशवाहा वोटरों की संख्या निर्णायक भूमिका निभा सकती है। 2020 में राजद के राजेश गुप्ता ने जीत दर्ज की थी, और अब महागठबंधन की ओर से सत्येंद्र शाह मैदान में हैं।
तिरहुत प्रमंडल में भाजपा का दबदबा, महागठबंधन की चुनौती
49 सीटों वाले तिरहुत प्रमंडल में एनडीए के पास फिलहाल 33 सीटें हैं, जबकि महागठबंधन ने 16 सीटें जीती थीं।
पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, वैशाली जैसे जिलों में मुकाबला बराबरी का बताया जा रहा है।
वैशाली में तेजस्वी यादव और सतीश यादव के बीच मुकाबला राघोपुर सीट को फिर सुर्खियों में ले आया है।
तेजस्वी और तेज प्रताप की अलग राहें
तेजस्वी यादव तीसरी बार राघोपुर से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि उनके भाई तेज प्रताप यादव अब अपनी नई पार्टी जनशक्ति दल से महुआ से मैदान में हैं।
तेज प्रताप के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई है, क्योंकि उन्हें परिवार और राजद दोनों से निष्कासित किया जा चुका है।
रेणु देवी, सुनील पिंटू और अजय निषाद पर सबकी निगाहें

बेतिया से मंत्री रेणु देवी पांचवीं बार चुनाव मैदान में हैं। सीतामढ़ी से भाजपा ने सुनील पिंटू को उम्मीदवार बनाया है, जबकि मुजफ्फरपुर की औराई सीट से भाजपा ने अजय निषाद की पत्नी राम निषाद को टिकट दिया है।
इन सभी सीटों पर महागठबंधन के प्रत्याशी कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
महागठबंधन के पक्ष में हवा, एनडीए ने भी कसी कमर
राजद नेताओं का कहना है कि “तेजस्वी यादव के पक्ष में हवा है, जनता उनके काम से खुश है।”
वहीं भाजपा नेताओं ने दावा किया कि शाहाबाद और तिरहुत क्षेत्र में पिछली गलतियों को सुधार लिया गया है, और इस बार 70–80% सीटों पर जीत उनकी होगी।
पहले चरण के चुनाव में दोनों गठबंधनों की साख दांव पर है और महागठबंधन इस बार बड़ा उलटफेर करने की उम्मीद में है।






