तेजस्वी यादव को बिहार महागठबंधन ने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया है। कांग्रेस और वाम दलों के समर्थन से यह फैसला युवाओं में उत्साह और एनडीए के खिलाफ नई चुनौती पेश कर रहा है।
Qalam Times News Network | पटना | 23 अक्टूबर 2025
तेजस्वी यादव अब आधिकारिक तौर पर महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित कर दिए गए हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए यह ऐलान कांग्रेस, वाम दलों, वीआईपी और अन्य सहयोगी दलों की संयुक्त प्रेस कॉन्फ़्रेंस में किया गया। कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने तेजस्वी को “युवा और भविष्य का चेहरा” बताते हुए कहा कि जनता ऐसे नेता को ही आगे बढ़ाना चाहती है, जो ईमानदार, ऊर्जावान और प्रतिबद्ध हो।
महागठबंधन की एकजुटता और नई रणनीति

महागठबंधन ने साफ किया है कि सत्ता में आने पर राज्य में एक से ज़्यादा उपमुख्यमंत्री बनाए जाएंगे। इनमें से एक नाम विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के अध्यक्ष मुकेश सहनी का होगा। इस फैसले को दलित, पिछड़ा और मछुआरा समाज के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
तेजस्वी यादव की उम्मीदवारी से गठबंधन को एक युवा चेहरा मिला है, जो बेरोजगारी, शिक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दों को लेकर जनता के बीच मजबूत पकड़ रखते हैं।
गहलोत का बयान और राजनीतिक संदेश
प्रेस कॉन्फ़्रेंस में अशोक गहलोत ने कहा,“तेजस्वी एक नौजवान हैं, जिनका लंबा भविष्य है। पिछली बार उन्होंने जो वादे किए, उनमें वे खरे उतरे। जनता उन्हें भरोसे के नेता के रूप में देखती है।”
इस दौरान मंच पर आरजेडी नेता मनोज झा, कांग्रेस के पवन खेड़ा, सीपीआई(एमएल) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी भी मौजूद थे।
गहलोत के इस बयान से गठबंधन में एक स्पष्ट संदेश गया कि तेजस्वी अब सिर्फ आरजेडी नहीं, बल्कि पूरे महागठबंधन का चेहरा हैं।
राजनीतिक असर: तेजस्वी बनाम एनडीए
- तेजस्वी यादव की घोषणा से युवाओं और बेरोजगार तबके में नई उम्मीद जगी है।
- मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री पद देने से पिछड़े और अति-पिछड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व का संदेश।
- महागठबंधन की आंतरिक एकता पर यह फैसला सकारात्मक असर डाल सकता है।
- बीजेपी और एनडीए के लिए यह चुनौती बन सकती है क्योंकि तेजस्वी के पास युवा वोट बैंक की गहरी पकड़ है।
तेजस्वी यादव की राजनीति का नया दौर
अब जब तेजस्वी यादव औपचारिक रूप से महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरा बन गए हैं, बिहार की राजनीति दो ध्रुवों में बंटती दिख रही है। एक ओर एनडीए के अनुभवी चेहरे हैं, तो दूसरी ओर तेजस्वी की युवा ऊर्जा और तेज़ भाषण शैली।
यह चुनाव सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि नेतृत्व की नई पीढ़ी को स्वीकार करने का भी इम्तिहान होगा।






