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बिहार से स्कॉटलैंड तक: प्रो.ध्रव का स्कॉटिश राजनीति व सामाजिक न्याय में अविस्मरणीय योगदान

चंपारण बिहार के छौड़ादानों निवासी प्रो. ध्रुव कुमार की शख्सियत

                  — इन्तेजारूल हक की कलम से——-
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के सत्याग्रह सिद्धांतों से प्रेरित आंदोलन
मेरी मंजिल मेरा हौसला देखकर,डर मुझे भी लगा फासला देखकर,पर मैं बढ़ता गया रास्ता देखकर,खुद ब-खुद मेरे नजदीक आती गयी,मेरी मंजिल मेरा हौसला देखकर,किसी शायर की ये पंक्तियां भले ही किसी दूसरे व काल में किसी और के लिए लिखी व पढ़ी गयी है,लेकिन वर्तमान समय पर बिहार,चंपारण के छौड़ादानों में जन्मे, स्वर्गीय भिखारी प्रसाद, धर्मशीला देवी के सुपुत्र और प्रभात, मनीष जायसवाल के छोटे भाई प्रो. ध्रुव कुमार पर सटीक बैठ रही है. स्कॉटलैंड में अल्बा पार्टी से सक्रिय राजनीतिज्ञ, शिक्षा और श्रमिक अधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता बदलते हालात में एक नई इबारत लिख रहे हैं. 2006 में स्कॉटलैंड आए प्रोफेसर ध्रुव ने ग्लासगो साउथ संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़कर कैम्पेन के माध्यम से स्कॉटिश स्वतंत्रता के पक्ष में जिस तरह की आवाज उठाई,उसे स्कॉटलैंड के साथ भारतीय भी वाकिफ हैं. गांधीजी के सत्याग्रह सिद्धांतों से प्रेरित प्रोफेसर ध्रुव कुमार स्कॉटिश स्वतंत्रता आंदोलन के भी प्रमुख समर्थक हैं. 2024 के यूनाइटेड किंगडम आम चुनाव के दौरान, ध्रुव कुमार ने ग्लासगो साउथ से एल्बा पार्टी के सांसद पद के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा. उन्होंने एक साहसिक और जनकेंद्रित चुनाव अभियान चलाया, जो स्कॉटलैंड के आम नागरिकों को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों पर केंद्रित था. ईंधन गरीबी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की और संघर्षरत परिवारों के लिए ऊर्जा को अधिक सुलभ बनाने के लिए एक “सोशल टैरिफ” की प्रस्तावना दी. उनका राष्ट्रीय हाउस बिल्डिंग कंपनी स्थापित करने का प्रस्ताव स्कॉटलैंड की आवासीय संकट से निपटने और सभी के लिए सुरक्षित, गर्म और स्थिर घर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से था.

उर्जा बलों से वैट हटाने व सामान्य वैट को दस प्रतिशत तक कम करने की थी मांग
प्रोफेसर ध्रुव ने ऊर्जा बिलों से VAT हटाने और सामान्य VAT को 10% तक कम करने की भी मांग की, जिससे प्रत्येक घर को प्रति वर्ष लगभग £2,500 (भरितए रुपैया ढाई लाख) की बचत हो सकती है. स्कॉटिश बच्चों की गरीबी को समाप्त करने के लिए एल्बा पार्टी की पांच सूत्रीय योजना का समर्थन किया, जिसका उद्देश्य हजारों परिवारों को गरीबी से बाहर निकालना था. महिला अधिकारों के प्रबल समर्थक होने के नाते, उन्होंने महिलाओं और लड़कियों के लिए एकल-लिंगी स्थानों, सेवाओं और खेलों की रक्षा की मांग की.
गाजा में तत्काल युद्ध विराम की मांग को दोहराया
वैश्विक स्तर पर प्रो. कुमार ने गाज़ा में तत्काल युद्धविराम की मांग की. उनका चुनाव अभियान जमीनी स्तर की वकालत और एक स्वतंत्र, न्यायसंगत और सामाजिक रूप से समान स्कॉटलैंड की स्पष्ट दृष्टि का समन्वय था. एल्बा पार्टी, ग्लासगो में एक कार्यकारी, डिप्टी कन्वीनर और मीडिया अधिकारी के रूप में, कुमार के लेख द हेराल्ड, द नेशनल और एडिनबर्ग न्यूज़ जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों में प्रकाशित हुए हैं, जो ग्रैंगमाउथ इंडस्ट्रियल आयल एंड गैस को बचाने, स्कॉटिश संप्रभुता, और आर्थिक आत्मनिर्भरता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उजागर करते हैं और स्कॉटिश मीडिया में उनकी आवाज़ को सशक्त बनाते हैं.
        शिक्षा के क्षेत्र में हैं सक्रीय
ध्रुव कुमार शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय हैं. वे सिटी ऑफ़ ग्लासगो कॉलेज में समुद्री अभियंत्रण (नॉटिकल साइंस) विभाग के प्रमुख हेड ऑफ़ करिकुलम रह चुके हैं और इसी वजह से उन्हें एक शिक्षा-विशेषज्ञ के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने स्कॉटलैंड के स्कूलों के पाठ्यक्रम में सुधार की वकालत की है. ध्रुव जी ने कहा है कि बच्चों में सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता की समझ पैदा करने के लिए पाठ्यक्रम में हिंदू संस्कृति सहित सभी धर्मों का इतिहास और योगदान शामिल होना चाहिए तथा शिक्षकों के लिए विविधता संबंधी प्रशिक्षण अनिवार्य किया जाना चाहिए.
            हिन्दूफोबिया इन स्कॉटलैंड” शीर्षक से 19-पृष्ठ की तैयार की एक रिपोर्ट
ध्रुव कुमार ने स्कॉटिश संसद (हॉलीरुड) में हिंदू समुदाय के खिलाफ बढ़ते भेदभाव और नफरत के खिलाफ एक बड़ा अभियान चलाया है. उन्होंने “हिन्दफोबिआ इन स्कॉटलैंड” शीर्षक से 19-पृष्ठ की एक रिपोर्ट तैयार की, जिसमें मंदिरों पर हमले, स्कूलों में भेदभाव और हिंदू समाज के योगदान की अनदेखी जैसी घटनाओं को उजागर किया गया. इस रिपोर्ट के आधार पर अल्बा पार्टी की मस्प ऐश रेगन ने 8 अप्रैल 2025 को संसद में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें आधिकारिक तौर पर हिंदूफोबिया की निंदा की गई. यह प्रस्ताव 21 अप्रैल को पारित हो गया, जिससे स्कॉटलैंड यूके का पहला ऐसा देश बन गया जिसने संसद में हिंदूविरोधी भावनाओं को औपचारिक रूप से स्वीकार किया। ध्रुव कुमार ने बताया कि उन्होंने गांधीवादी विचारधारा का पालन करते हुए कानूनों में बदलाव और समाज में जागरूकता बढ़ाने की बात कही है.
श्रमिक अधिकारों के लिए कर रहें संघर्ष
ध्रुव ट्रेड यूनियन आंदोलन से भी जुड़े रहे हैं और श्रमिकों के अधिकारों के लिए संघर्षरत हैं. वे ईंधन की महंगाई (फ्यूल गरीबी), औद्योगिक पतन (विऔद्योगीकरण) और बढ़ती महंगाई तथा बेरोजगारी जैसी समस्याओं को भी संसद में उठाते रहे हैं. ग्लासगो साउथ संसदीय क्षेत्र में गरीब तबके और मजदूरों को हो रहे आर्थिक संकट की ओर उनका विशेष ध्यान रहा है. इन मुद्दों पर उन्होंने अल्बा पार्टी और विभिन्न समुदायों के साथ मिलकर जन समर्थन जुटाया है, जिससे स्कॉटिश समाज में सामाजिक न्याय और समावेशिता की मांग को बल मिला है.
                 भारत व स्कॉटलैंड के बीच सहयोग बढ़ाने में भूमिका
भारत एवं स्कॉटलैंड के बीच सहयोग बढ़ाने में भी ध्रुव की सक्रियता रही है. वे नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत ‘स्कॉटलैंड गंगा चैप्टर ’ के हेड कन्वीनर हैं. इस भूमिका में उन्होंने दोनों देशों को जोड़ने वाली पर्यावरणीय परियोजनाओं की पैरवी की है.साथ ही ‘क्लीएड गंगा इकनोमिक कॉरिडोर’ की परिकल्पना पेश की है, जिसका उद्देश्य स्कॉटलैंड की क्लाइड नदी और भारत की गंगा नदी के बीच जुड़ाव बढ़ाकर आर्थिक तथा सांस्कृतिक साझेदारी को बढ़ावा देना है. ग्लासगो में नदी क्लीइड के पुनरुद्धार के मॉडल पर काम करते हुए, उन्होंने कहा है कि इससे दोनों देशों की जल परियोजनाओं और व्यापारिक संबंधों को नई दिशा मिलेगी. अपने राजनीतिक और पेशेवर दायित्वों के साथ संतुलन बनाए रखते हुए, ध्रुव कुमार एक समर्पित पारिवारिक व्यक्ति भी हैं। उनकी पत्नी कामनी कुमार और दो सुंदर बच्चे- वरदा जायसवाल और अचिन्त्य जायसवाल, उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं. उनका व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन एक समान सूत्र से जुड़ा है: स्कॉटलैंड में समावेशी, समानतापूर्ण और प्रगतिशील समुदायों के निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता.यूं कहें कि जैसे-जैसे स्कॉटलैंड अपनी पहचान और यूनाइटेड किंगडम एवं वैश्विक समुदाय में अपनी भूमिका को पुनर्परिभाषित कर रहा है, ध्रुव कुमार जैसी आवाज़ें शिक्षा, समानता और सशक्तिकरण पर आधारित भविष्य गढ़ने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

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